Bhargav Astro Pint

03 October 2024

Maa Shailputri

She is a daughter of Himalaya and first among nine Durgas. In previous birth she was the daughter of Daksha. Her name was Sati - Bhavani. i.e. the wife of Lord Shiva. Once Daksha had organized a big Yagna and did not invite Shiva. But Sati being obstinate, reached there. Thereupon Daksha insulted Shiva. Sati could not tolerate the insult of husband and burnt herself in the fire of Yagna. In other birth she became the daughter of Himalaya in the name of Parvati - Hemvati and got married with Shiva. As per Upnishad she had torn and the egotism of Indra, etc. Devtas. Being ashamed they bowed and prayed that, "In fact, thou are Shakti, we all - Brahma, Vishnu and Shiv are capable by getting Shakti from you."
She is a daughter of Himalaya and first among nine Durgas. In previous birth she was the daughter of Daksha. Her name was Sati - Bhavani. i.e. the wife of Lord Shiva. Once Daksha had organized a big Yagna and did not invite Shiva. But Sati being obstinate, reached there. Thereupon Daksha insulted Shiva. Sati could not tolerate the insult of husband and burnt herself in the fire of Yagna. In other birth she became the daughter of Himalaya in the name of Parvati - Hemvati and got married with Shiva. As per Upnishad she had torn and the egotism of Indra, etc. Devtas. Being ashamed they bowed and prayed that, "In fact, thou are Shakti, we all - Brahma, Vishnu and Shiv are capable by getting Shakti from you."
माँ दुर्गा अपने पहले सवरूप में शैलपुत्री के नाम से जानी जाती है | पर्वतराज हिमालय के वह पुत्री के रूप में उत्पन्नं होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा | बैल पर सवार इन माता के दायिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल पुष्प की माला सुशोभित है| यही नवदुर्गा में प्रथम दुर्गा है अपने पूर्व जनम में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन हुई थी | इन का नाम सत्ती था | इन का विवाह भगवन भगवान संकर जी के साथ हुआ था | एक बार राजा प्रजापति एक बहुत बड़ा यज्ञ किया | इस में सरे देवता का अपना यज्ञ भाग लेने के लिया निमंत्रण दिया | किन्तु शंकर जी को निमंत्रण नहीं दिया | लेकिन सत्ती ने संकर जी के सामने यज्ञ में जाने की के बात कही तब शंकर जी ने कहा बिना निमंत्रण यज्ञ में जाना ठीक नहीं . लेकिन सती के जयादा कहने पर उप को जाने की अनुमति दे दी | सती के पिता के घर जाने पर पाया के को भी उन को आदर नहीं दे रहा है केवल उनकी माता ही प्रेम कर रही है | बहनो ने बातो ही बातो में उन का मजाक उड़ाया | उन हो ने यह भी देखा की संकर जी के लिए भी वहा पर तिरस्कार का भाव भरा था | दक्ष ने उनके लिए अपमान जनक शब्द भी कहे | यह देख कर सती का ह्रदय गलानि ओर क्रोध से भर गया | उन्होंने सोचा शंकर जी की बात न मन कर मैंने बड़ी गलती की है | वह पति शंकर जी के अपमान को सहन न कर शक्ति और वही योगाग्नि द्वारा अब्ने आप का भस्म कर लिया | जब शंकर जी को इस दारुण दुख का पता चला तो शंकर ही क्रोध से भर गए तब शंकर जी से अपने गणो के भेज कर दक्ष के यज्ञ की पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया | यही सती अगले जनम में शैलराज हिमालय की पुत्री रूप में जनम लिया | अब की बार वह शैलपुत्री नाम से विख्यात हुई पारवती हेमवती भी इन्ही के नाम है | इस बार भी शैलपुत्री का विवाह शंकर जी के साथ हुआ

4 October 2024

Maa Brahmacharini

The second Durga Shakti is Brahamcharini. Brahma that is who observes penance(tapa) and good conduct. Here "Brahma" means "Tapa". The idol of this Goddess is very gorgeous. There is rosary in her right hand and Kamandal in left hand. She is full with merriment. One story is famous about her. In previous birth she was Parvati Hemavati the daughter of Himvan. Once when she was busy in games with her friends. Naradaji came to her and predicted seeing her Palm-lines that, "You will get married with a naked-terrible 'Bhole baba' who was with you in the form of Sati, the daughter of Daksh in previous birth. But now you have to perform penance for him." There upon Parvati told her mother Menaka that she would marry none except Shambhu, otherwise she would remain unmarried. Saying this she went to observe penance. That is why her name is famous as tapacharini - Brahmacharini. From that time her name Uma became familiar.
मां दुर्गा के नव शक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या है ब्रह्मचारी अर्थात तब की चरणी तब का आसान करने वाली इसी लिए इनको ब्रह्मचारी बोला जाता है ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर में एवं अत्यंत भव्य है इनके दाहिने हाथ में जबकि माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है अपने पूर्व जन्म में जब यह हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थी तब नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी इस पुरस्कार तपस्या के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम दिया गया 1000 वर्ष उन्होंने केवल फल फूल खाकर व्यक्तित्व किए थे 100 वर्षों तक केवल साथ पर निर्वाह किया था कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप में भयानक कष्ट सहित इस कठिन तपस्या के पश्चात 3000 वर्षों तक केवल जमीन पर टूट कर गिरे हुए बेलपत्र को खाकर वह भगवान शंकर की प्रार्थना करती रही इसके बाद उन्होंने सूखे बेलपत्र को भी खाना छोड़ दिया कहीं हजार वर्षों तक वह निर्जल ओम निराकार तपस्या करती रही पत्तों को भी खाना छोड़ देने के कारण उनका नाम अपर्णा भी पड़ गया इसलिए ब्रह्मचारिणी का दूसरा नाम अपर्णा भी है कई हजार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी देवी का वह पूर्व जन्म का शरीर एकदम एक्शन हो उठा वह अत्यंत ही कमजोर हो गई थी उनकी यह दशा देखकर उनकी माता मीणा अत्यंत दुखी होती है उन्होंने उसे कठिन तपस्या से विराट करने के लिए आवाज दी उमा अरे नहीं वह नहीं तब से देवी ब्रह्मचारिणी का पूर्व जन्म का नाम उमा भी पड़ गया उनकी इस तपस्या से तीनों लोगों में आकर मच गया देवता ऋषि सिद्ध मुनि सभी ब्रह्मचारिणी देवी की इस तपस्या को अभूतपुर पुण्यकृत बताते हुए उनकी शरण करने लगे आदमी पिता में है ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें संबोधित करते हुए प्रश्न शोर में कहा है देवी आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की है ऐसी तपस्या तुम ही से संभव थी तुम्हारे इस अलौकिक कृत्य चारों ओर सरहाना हो रही है तुम्हारी मनोकामना सर्वोच्च सर्वोत्तम भाविन परिपूर्ण होगी भगवान चंद्र मौली शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे अब तुम तपस्या से व्रत होकर घर लौट जाओ शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को आनंद फल देने वाला है इनकी उपासना से मनुष्यता त्याग वैराग्य सदाचार संयम की वृद्धि होती है जीवन में कठिन संघर्षों में भी उनका मन नहीं लगवाता है मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उन्हें सर्वार्थ सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है इस दिन साधक का मन स्वादिष्ठान चक्र में स्थित होता है इस चक्र में अवस्थित मानव मन वाला जोगी उनकी कृपा और भक्ति का पात्र बन जाता है

5 October 2024

Maa Chandraghanta

The name of third Shakti is Chandraghanta. There is a half-circular moon in her forehead. She is charmful and bright. She is Golden color. She has three eyes and ten hands holding with ten types of swords - etc. weapons and arrows etc. She is seated on Lion and ready for going in war to fight. She is unprecedented image of bravery. The frightful sound of her bell terrifies all the villains, demons and danavas.
The name of third Shakti is Chandraghanta. There is a half-circular moon in her forehead. She is charmful and bright. She is Golden color. She has three eyes and ten hands holding with ten types of swords - etc. weapons and arrows etc. She is seated on Lion and ready for going in war to fight. She is unprecedented image of bravery. The frightful sound of her bell terrifies all the villains, demons and danavas.

6 October 2024

Maa Kushmanda

Name of fourth Durga is Kushmanda. The Shakti creates egg, ie. Universe by mere laughing .She resides in solar systems. She shines brightly in all the ten directions like Sun. She has eight hands. Seven types of weapons are shining in her seven hands. Rosary is in her right hand. She seems brilliant riding on Lion. She likes the offerings of "Kumhde." Therefore her name "Kushmanda" has become famous.
Name of fourth Durga is Kushmanda. The Shakti creates egg, ie. Universe by mere laughing .She resides in solar systems. She shines brightly in all the ten directions like Sun. She has eight hands. Seven types of weapons are shining in her seven hands. Rosary is in her right hand. She seems brilliant riding on Lion. She likes the offerings of "Kumhde." Therefore her name "Kushmanda" has become famous.
माँ दुर्गा जी के चौथे स्वरूप का नाम कूष्मांडा है | अपनी मंद , हलकी हँसी द्वारा अण्ड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्त्पन करने के कारण इन्हे कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है | जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था , चारो और अंधकार -ही -अंधकार था | तब इन्ही देवी ने अपनी ' थोड़ी ' हसी से ब्रह्माण्ड की रचना क थी | अतः यह सृष्टि की आदि - स्वरूपा आदि शक्ति है | इनके पूर्व ब्रह्माण्ड का अस्तित्व था ही नहीं | इनका निवास सूर्य मंडल के भीतर के लोक में है | सूर्य लोक में निवास करने की क्षमता और शक्ति केवल इन्ही में है| इनके शरीर की कान्ति और प्रभा भी सूर्य के समान ही देदीप्यमान और भास्वर है | इनके तेज की तुलना इन्ही से की जा सकती है | अन्य कोई भी देवी - देवता इनके तेज और प्रभाव की समता नहीं कर सकते | इन्ही के तेज और प्रकाश से दसो दिशाए प्रकाशित से हो रही है | इनकी आठ भुजाएँ है अत: ये अषटभुजा देवी के नाम से भी विख्यात है इनके सात हाथो में क्रमश कमंडलु ,धनुष,बाण, कमल- पुष्प, अमृतपूर्ण कलश,चक्र तथा गदा है आठवे हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों देने वाली जपमाला है | इनका वाहन सिंह है | संस्कृत भाषा में कूष्मांड कुम्हड़े (पेठा) को कहते है | बलियो में कुम्हड़ेकी (पेठा) बलि सर्वाधिक प्रिय है | इस कारण से भी ये कूष्मांडा कही जाती है | नवरात्र पूजन के चौथे दिन कूष्मांडा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है | माँ कूष्मांडा की उपासना से समस्त भक्तो के समस्त रोग शोक विनिष्ठ हो जाते है | इनकी भक्ति से आयु , यश , बल और आरोग्य की वृद्धि होती है | माँ कूष्मांडा अत्यलप सेवा और भक्ति से भी प्रसन्न होने वाली है | माँ की उपासना मनुष्य को सहज भाव से भवसागर से पार उतरने के लिए सर्वधिक् सुगम और श्रेस्कर मार्ग है | माँ कूष्मांडा की उपासना मनुष्य को अँधियो -व्यधिओ से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है |अपनी लौकिक - पारलौकिक उन्नति चाहनेवालो को इनकी उपासना में सदैव तत्पर रहना चाहिए |

7 October 2024

Maa Skanda Mata

Fifth name of Durga is "Skanda Mata". The daughter of Himalaya, after observing penance got married with Shiva. She had a son named "Skanda." Skanda is a leader of the army of Gods. Skanda Mata is a deity of fire. Skanda is seated in her lap. She has three eyes and four hands. She is white and seated on a lotus.

माँ दुर्गाजी के पांचवे सवरूप को स्कंदमाता नाम से जाना जाता है | ये भगवान स्कन्द " कुमार कार्तिकेय " नाम से भी जाने जाते है की माता है | ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवता के सेनापति थे | पुराणो में इनको कुमार और शक्तिधर कहकर भी इनकी महिमा का वर्णन किया काया है | इनका वाहन मयूर है | अत: इनको मयूरवहान के नाम से भी जाना जाता है | इन्ही भगवान स्कन्द की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के पांचवे सवरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है | इनके प्रेम में भगवान् स्कन्द बालरूप में इनके गोदमे बैठे थे | स्कन्दस्ववरूपणी देवी की चार भुजा है | ये दाहिने हाथ की ऊपर की भुजा से भगवान् स्कन्द को गोद में पकडे हुए है | ये दाहिनी तरफ ऊपरकी और उठीवाली भुजा में कमल पुष्प पकडे है | बायीं तरफ की ऊपरवाली भुजा वरमुन्द्रा में तथा निचेवाली भुजा जो जो ऊपर की और उठी है

8 October 2024

Maa Katyayani

The son of "Kat" as "Katya". Rishi Katyayan born in this "Katya" lineage. Katyayan had observed penance with a desire to get paramba as his daughter. As a result she took birth as a daughter of Katyayan. Therefore her name is "Katyayani" . She has three eyes and eight hands. These are eight types of weapons missiles in her seven hands. Her vehicle is Lion.
The son of "Kat" as "Katya". Rishi Katyayan born in this "Katya" lineage. Katyayan had observed penance with a desire to get paramba as his daughter. As a result she took birth as a daughter of Katyayan. Therefore her name is "Katyayani" . She has three eyes and eight hands. These are eight types of weapons missiles in her seven hands. Her vehicle is Lion.
माँ दुर्गाजी के छठवे स्वरूपका नाम कात्यायनी है | इनका कात्यायनी नाम पड़ने की कथा यह है की - कत नामक एक प्रसिद्ध महृषि थे | उनके पुत्र ऋषि कात्या हुए | इन्ही कात्या के गोत्र में विश्रप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे |उन्होने भगवती पराम्बाकी उपासना करते हुए बहुत वर्षो तक बड़ी कठिन तपस्या की थी | वे कहते थे की माँ भगवती उनके घर पर पुत्री रूपमे जनम ले | माँ भगवतीने उनकी यह प्राथना स्वीकार कर ली | कुछ काल पश्च्यात जब दानव महिसासुर का अत्याचार पृथ्वीपर बहुत बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु महेश तीनोंने अपने तजका अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया | महर्षि कात्यायन ने सबसे पहले इन की पूजा की | इसी कारन से ये कात्यायनी कहलायी | ऐसी भी कथा मिलती है की ये महर्षि कात्यायन के यहाँ पुत्री रूप में जनम लिया था | अश्वनी कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुल्क सप्तमी , अषटमी तथा नवमी तक तीन दिन इन्होने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिसासुर का वध किया था | माँ कात्यायनी अमोघ फलदायी है | भगवान कृष्ण को पति रूप मई पाने के लिये ब्रजकी गोपियों ने इनकी ही पूजा कालंदी यमुना के तट पर की थी | ये ब्रजमंडल की अधिष्टात्री देवी है | इन का रूप अत्यंत भव्य और दिव्य है | इनका वर्ण स्वर्ण के सामान चमकीला और भास्कर है | इनकी चार भुजा है | इनका दाहिने तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुंद्रा में तथा नीचेका हाथ वरमुन्द्र में है | बाये तरफ के ऊपर के हाथ में तलवार और निचे के हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है | इन का वाहन सिंह है | माँ कात्यायनी भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ , धर्म , काम , मोक्ष चारो फलो की प्राप्ति हो जाती है |

9 October 2024

Maa Kalratri

Seventh Durga is Kalratri She is black like night. Durga hairs are unlocked. She has put on necklaces shining like lightening. She has three eyes which are round like universe. Her eyes are bright. Thousands of flames of fire come out while respiring from nose. She rides on Shava (dead body). There is sharp sword in her right hand. Her lower hand is in blessing mood. The burning torch (mashal) is in her left hand and her lower left hand is in fearless style, by which she makes her devotees fearless. Being auspicious she is called "Shubhamkari."
Seventh Durga is Kalratri She is black like night. Durga hairs are unlocked. She has put on necklaces shining like lightening. She has three eyes which are round like universe. Her eyes are bright. Thousands of flames of fire come out while respiring from nose. She rides on Shava (dead body). There is sharp sword in her right hand. Her lower hand is in blessing mood. The burning torch (mashal) is in her left hand and her lower left hand is in fearless style, by which she makes her devotees fearless. Being auspicious she is called "Shubhamkari."
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है| इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है | सिर के बाल बिखरे हुए है गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है | इनके तीन नेत्र है | ये तीनो नेत्र ब्रह्माण्ड के सामान है | इनका वाहन गर्दभ -गदहा है | ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती है तथा दाहिने तरफ का हाथ अभयमुंद्रा में है | बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग [कटार] है | माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये शुभ फल ही देने वाली है इसीकारण इनका एक नाम शुभंकरी भी है | अतः इनसे भक्तो को किसी प्रकार भी डरने की आवश्यकता नहीं है| दुर्गा पूजा के सातवे दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है माँ कालरात्रि दानवो का विनाश करने वाली है | दानव,दैत्य,राक्षश,भूत, प्रेत आदि इनके स्मरणमात्र से ही भाग जाते है | ये ग्रह बाधा को दूर करने वाली है | इन के भक्तो को जल, जंतु , शत्रु, रात्रि भय नहीं होता | इनकी कृपा से वह सर्वथा भय मुक्त हो जाता है|

10 October 2024

Maa Maha Gauri

The Eighth Durga is "Maha Gauri." She is as white as a conch, moon and Jasmine. She is of eight years old. Her clothes and ornaments are white and clean. She has three eyes. She rides on bull She has four hands. The above left hand is in "Fearless - Mudra" and lower left hand holds "Trishul." The above right hand has tambourine and lower right hand is in blessing style. She is calm and peaceful and exists in peaceful style. It is said that when the body of Gauri became dirty due to dust and earth while observing penance, Shiva makes it clean with the waters of Gangas. Then her body became bright like lightening. There fore, she is known as "Maha Gauri" .
The Eighth Durga is "Maha Gauri." She is as white as a conch, moon and Jasmine. She is of eight years old. Her clothes and ornaments are white and clean. She has three eyes. She rides on bull She has four hands. The above left hand is in "Fearless - Mudra" and lower left hand holds "Trishul." The above right hand has tambourine and lower right hand is in blessing style. She is calm and peaceful and exists in peaceful style. It is said that when the body of Gauri became dirty due to dust and earth while observing penance, Shiva makes it clean with the waters of Gangas. Then her body became bright like lightening. There fore, she is known as "Maha Gauri" .
माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है | इन का वर्ण पूर्णत : गौर है | इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंड के फूल से दी गयी है | इनकी आयु आठ वर्ष की मणि गयी है -"अष्ट वर्षा भवेद गौरी " | इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण अदि भी श्वेत है | इन की चार भुजाये है | इन का वाहन वृषभ {बैल) है | इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय - मुद्रा है | इन की मुद्रा अत्यंत शांत है | अपने पार्वती रूप मई इन्होने भगवान शिव को पति - रूप मै प्राप्त करने के लिए बड़ी कठोर तपस्या की थी | इनकी प्रतिज्ञा थी की मेँ भगवान शिव के सिवा किसी को वरन नहीं करुँगी | इस कठोर तपश्या के कारन इनका शरीर एक दम काला पड़ गया | इनकी तपस्या से प्रसन्न और संतुषट हो कर जब भगवान शिव ने गंगा जी के पवित्र जल से मलकर धोया तब वह विधुत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमान -गौर -हो उठा | तभी से इनका नाम महा गौरी पड़ा | दुर्गा पूजा के आठवे दिन महा गौरी की उपासना का विधान है | इनकी शक्ति अमोघ फल दायिनी है | इनकी उपासना से भक्तो के सभी पाप धूल जाते है और वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यो का अधिकारी हो जाता है |

11 October 2024

Maa Siddhidatri

Ninth Durga us Siddhidatri. There are eight Siddhis , they are- Anima, Mahima, Garima, Laghima, Prapti, Prakamya, Iishitva & Vashitva. Maha Shakti gives all these Siddhies. It is said in "Devipuran" that the Supreme God Shiv got all these Siddhies by worshipping Maha Shakti. With her gratitude the half body of Shiv has became of Goddess and there fore his name "Ardhanarishvar" has became famous. The Goddess drives on Lion. She has four hands and looks pleased. This form of Durga is worshiped by all Gods, Rishis-Munis, Siddhas, Yogis, Sadhakas and devotees for attaining the best religious asset.
Ninth Durga us Siddhidatri. There are eight Siddhis , they are- Anima, Mahima, Garima, Laghima, Prapti, Prakamya, Iishitva & Vashitva. Maha Shakti gives all these Siddhies. It is said in "Devipuran" that the Supreme God Shiv got all these Siddhies by worshipping Maha Shakti. With her gratitude the half body of Shiv has became of Goddess and there fore his name "Ardhanarishvar" has became famous. The Goddess drives on Lion. She has four hands and looks pleased. This form of Durga is worshiped by all Gods, Rishis-Munis, Siddhas, Yogis, Sadhakas and devotees for attaining the best religious asset.
माँ दुर्गाजी की नवी शक्ति का नाम सिद्धिदात्रि है | ये सभी प्रकार की सिद्धियो को देनेवली है | मार्कण्डेय पुराण के अनुशार अणिमा, महिमा , लघिमा , प्राकाम्य , ईशित्व और विशित्व -ये आठ सिद्धया होती है | ब्रह्मवर्त पुराण में ये संख्या अठरा है | देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से इन सिद्धयो को प्राप्त किया था | इनकी अनुकम्पासे ही भगवान शिव का आधा शरीर देविका हुआ था | इसी कारण वह लोक में " अर्धनारीश्वर " नाम से प्रसिद हुए | माँ सिद्धिदात्रि चार भुजाो वाली है | इनका वाहन सिंह है | ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती है | इनकी दाहिने तरफ के निचे वाले हाथ में चक्र ,ऊपरवाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के हाथ में शंक और ,ऊपरवाले हाथ में कमल पुष्प है | नवात्र - पूजन के नवे दिन इनके उपासना की जाती है | इस दिन शास्त्रीय विधि - विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधकको सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है | सृस्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता | बह्रामंड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामथर्य उसमे आ जाती है | नवदुर्गाओं में माँ सिद्धिदात्रि अंतिम है | अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा - उपासना शास्त्रीय विधि - विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा-पूजा के नवे दिन इनकी उपासना में प्रवृत होते है | इन सिद्धिदात्रि माँ की उपासना पूर्ण कर लेने इ बाद भक्तो और साधको की लौकिक - पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओ की पूर्ति हो जाती है |